7 मिनट
भारत के संविधान का भाग 9 - पंचायतों के लिए नियम
गाँधी जी ने परिकल्पना की थी गाँवों के स्तर पर भी एक लोकतंत्र की स्थापना हो जहाँ लोग आपस में मिलजुलकर आर्थिक व् सामजिक विकास के लिए कार्य करें | साथ में इस बात की भी बकालत की थी कि ज़मीनी स्तर पर पंचायत का एक ऐसा वास्तविक लोकतंत्र खड़ा हो जिसमें प्रत्येक व्यक्ति की भागेदारी हो | जो केंद्रीय लोकतंत्र में संभव नहीं है क्योंकि वहां लोगों के द्वारा चुने हुए लोग जाते हैं लोगों की स्वयं की आवाज़ वहां नहीं पहुँचती | किन्तु प्रत्येक व्यक्ति को यह अधिकार व् अवसर मिला हुआ है कि वह अपनी ग्राम सभा की बैठक में सबके सामने अपनी बात कह सके |
गांधी जी के इस सपने को पूरा करने के लिए संविधान के आर्टिकल 40 में राज्यों को निर्देश दिया गया कि राज्य गांवों में पंचायतों के गठन की दिशा में आवश्यक कदम उठायें ! उनको इतनी शक्ति व् अधिकार प्रदान करें कि पंचायतें स्वयं में एक लोकतंत्र की एक इकाई के रूप में कार्य करने में सक्षम हों !
संविधान के पारित होने के बाद ही राज्यों ने इस दिशा में प्रयास आरम्भ कर दिए थे और राजस्थान ने अपने पंचायती एक्ट 1953 के आधार पर सितम्बर 1959 में ग्राम पंचायत चुनाव करवाए और प्रधानमंत्री नेहरू जी ने नागौर जिले में जाकर 2 अक्टूबर 1959 को उसका उद्घाटन किया |
लेकिन कई राज्य पंचायती व्यवस्था करने में कामयाब नहीं हुए | जहाँ पंचायती संस्थाएं बनीं भी वहां मजबूत नियमों के अभाव में वह कभी अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाईं | कई समस्याएं रहीं पंचायतों के प्रभावी क्रियान्वयन में | प्रत्येक प्रधानमंत्री और प्रत्येक सरकार ने प्रयास किये कि ग्राम पंचायतें ताकतवर बने, और इसके लिए समय समय पर एक्सपर्ट्स की समितियां बनीं जिन्होंने अपने सुझाव भी दिए | किन्तु उन सभी सुझावों पर कार्य करने का श्रेय जाता है प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी को | उन्होंने प्रयास किया पंचायती राज संस्थाओं के लिए संविधान में विस्तार से शामिल करने का और वो लेकर आये थे चौसठ वां संविधान संशोधन जो लोकसभा से तो पास हो गया लेकिन राज्यसभा में पास नहीं हो पाया | लेकिन वही बिल बाद में पास कराया प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव जी ने और बना तिहत्तरवाँ व् चौहत्तर वां संविधान संशोधन और इन संशाधनों के द्वारा सँविधान में भाग 9 और 9 A जोड़े गए| ये बिल 24 अप्रैल 1993 से चलन में आये इसलिए भारत में 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस मनाया जाता है |
आज भारत में पंचायती राज संस्थाओं की जो व्यवस्था है वो संविधान के इन्हीं संशोधनों के द्वारा जोड़े भाग 9 के आर्टिकल 243 पर ही आधारित है| पर याद रहे पंचायतें हैं राज्य के विषय | संविधान ने इन बदलावों के द्वारा सिर्फ राज्यों के लिए दिशा निर्देश दिए हैं कि पंचायतें गठित कैसे होंगी और काम कैसे करेंगी | संबिधान के इन्हीं निर्देशों का पालन करते हुए लगभग हर राज्य ने पंचायतों से सम्बंधित अपने अपने अलग कानून पास करे हैं जिनमें पंचायतों से सम्बंधित सारे नियम शामिल हैं| सभी राज्यों के पंचायती कानून हैं लगभग एक जैसे क्योंकी सभी संविधान के भाग 9 का पालन करते हैं | इस ब्लॉग में हम बात करेंगे संबिधान के भाग 9 की जो ग्राम पंचायतों के बारे में हैं और उसके बाद हम बात करेंगे उत्तर प्रदेश के ग्राम पंचायत से जुड़े कानून की जो आज़ादी से पहले का है पर उसको समय समय पर बदला गया है |
मुख्यतः जो निर्देश संविधान ने राज्यों को दिए हैं वो इस तरह हैं -
आरम्भ - ग्राम सभा व् ग्राम पंचायत की परिभाषा
A - ग्रामसभा की शक्तियां
ग्राम सभा राज्य द्वारा प्रदत्त शक्तियों का पालन करके उन कार्यों को करेगी जिसके लिए राज्य ने नियम बनाए हैं
B - तीन स्तर पर पंचायतों का गठन
ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत (20 लाख से अधिक जनसंख्या वाले राज्य ) व जिला पंचायत
C - पंचायतों की संरचना
- पंचायतों की संरचना इस तरह हो की जनसँख्या का अनुपात सभी में एक जैसा हो | पंचायतें ज्यादा बड़ी या छोटी न हों |
- पंचायत के सभी सदस्य सीधे निर्वाचित होकर आएंगे और उसके लिए पंचायत को छोटे हिस्सों में बाँटा जाए कि सभी हिस्सों में वोटर की संख्या लगभग सामान रहे |
- ग्राम पंचायत के अध्यक्ष क्षेत्र पंचायत की बैठक में प्रतिनिधित्व करेंगे |
- इसी तरह क्षेत्र पंचायत के अध्यक्ष जिला पंचायत की बैठक में प्रतिनिधित्व करेंगे |
- लोक सभा व् विधान सभा के सदस्य अपने क्षेत्र में आने वाली ग्राम पंचायत , क्षेत्र पंचायत व् जिला पंचायत की बैठक में प्रतिनिधित्व करेंगे |
- सदस्यों और अध्यक्षों को बैठकों में वोट डालने का अधिकार होगा |
- क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के अध्यक्षों का चुनाव इन पंचायतों के चुने सदस्यों के द्वारा होगा |
- किन्तु ग्राम पंचायत के अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता के द्वारा हो या ग्राम पंचायत के चुने सदस्यों के द्वारा होगा यह राज्य नियम बनाएं |
D - पंचायतों में आरक्षण
- किसी भी ग्राम पंचायत में अगर 15 सदस्यों के पद हैं और उस गाँव में SC की जनसंख्या अगर 40 प्रतिशत है तो 6 सीटें फिर SC के लोगों को आरक्षित होंगी |
- ऐसा ही नियम ST के लिए है, उनके लिए भी उनकी जनसंख्या के हिसाब से सदस्यों के पद आरक्षित होंगे |
- इन आरक्षित 6 सीटों में एक तिहाई सीट यानी 2 सीट स्त्रियों के लिए आरक्षित होंगी |
- सदस्यों की सारी सीटों के बारे में बात करें तो कुल सीटों की कम से कम एक तिहाई पद स्त्रियों के लिए आरक्षित होंगे
- यह नियम क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के सदस्यों के पदों पर भी लागू होंगे |
- अगर अध्यक्ष के पदों के आरक्षण की बात करें तो उसके नियम राज्य सरकार बनाएंगे किन्तु SC और ST के कुल आरक्षित पद उनकी जनसंख्या के अनुपात के अनुरूप रहेंगे ही |
E - पंचायतों का कार्यकाल ५ साल का होगा
F - राज्य के बनाये नियमों के आधार पर सदस्य्ता समाप्त हो जाएगी
G - पंचायतों की शक्तियां, अधिकार व् उत्तर दायित्व
यह नियम राज्य बनाएंगे लेकिन इसका उद्देश्य रहेगा -
- आर्थिक विकास व सामाजिक न्याय की योजनाएं तैयार करना
- आर्थिक विकास व सामाजिक न्याय की जो स्कीम उन्हें सौंपी जाए उनका क्रियान्वयन करना | यह योजनाएं 11 वीं अनुसूची में लिखे विषयों से सम्बंधित होंगी |
H - कर लगाने की शक्ति व् पंचायतों की आय के स्रोत
राज्य ऐसे नियम बनाए जिसके तहत पंचायत कर वसूली कर सकेंगी राज्य सरकार द्वारा कलेक्ट किये कर को भी पंचायतों को निर्धारित किया जा सकेगा एकमुश्त ग्रांट दी जा सकेगी
I - फाइनेंस कमीशन का गठन
राज्यपाल प्रत्येक 5 वर्ष के पश्चात् फाइनेंस कमीशन का गठन करेंगे फाइनेंस कमीशन का काम होगा राज्य सरकार द्वारा जो टैक्स कलेक्ट किया गया है उसका राज्य व् पंचायतों के बीच विभाजन पंचायतों की आर्थिक स्थिति सुधारने के सम्बन्ध में विचार कमीशन में कौन लोग होंगे उसका कार्य कैसे होगा यह सब नियम राज्य सरकार बनाएगी
J - राज्य सरकार पंचायतों के लेखा जोखा के ऑडिट का इंतज़ाम करेगी
K - पंचायतों का चुनाव
राज्यपाल के द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग का गठन होगा | इसके लिए नियम राज्य सरकार बनाएगी | कौन इसके सदस्य होंगे कितने होंगे उनका सिलेक्शन ये सब राज्य सरकार करेगी | राज्य का निर्वाचन आयोग पंचायत चुनावों सम्बन्धी साड़ी व्यवस्था करेगा
L - वो नियम जो केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होंगे
M - वो स्थान जहाँ पर यह नियम लागू नहीं होंगे
N - पुराने नियम
पहले से अगर कुछ नियम चले आ रहे हैं वो अब नहीं रहेंगे
O - पंचायतों में न्यायलय का हस्तक्षेप
पंचायतों के सम्बन्ध में राज्य सरकार के बनाये नियमों में न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करेगा | विवाद की स्थिति में राज्य कानून बनायें कि कैसे विवाद का निपटारा हो |
11 वीं अनुसूची
- कृषि विकास एवं विस्तार
- भूमि विकास, भूमि सुधार लागू करना, भूमि संगठन एवं भूमि संरक्षण
- पशुपालन,दुग्ध व्यवसाय तथा मत्यपालन
- मत्स्य उद्योग
- लघु सिंचाई, जल प्रबंधन एवं नदियों के मध्य भूमि विकास
- वन विकास
- लघु उद्योग जिसमे खाद्य उद्योग शामिल है
- ग्रामीण विकास
- पीने का शुद्ध पानी
- खादी, ग्राम एवं कुटीर उद्योग
- ईंधन तथा पशु चारा
- सड़क, पुल, तट जलमार्ग तथा संचार के अन्य साधन
- वन जीवन तथा कृषि खेती (वनों में)
- ग्रामीण बिजली व्यवस्था
- गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत
- यांत्रिक प्रशिक्षण एवं यांत्रिक शिक्षा
- प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा सम्बन्धी विद्यालय
- गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम
- वयस्क एवं बुजुर्ग शिक्षा
- पुस्तकालय
- बाजार एवं मेले
- सांस्कृतिक कार्यक्रम
- अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जिनमे दवाखाने शामिल हैं
- पारिवारिक समृद्धि
- सामाजिक समृद्धि जिसमें विकलांग एवं मानसिक समृद्धि शामिल है
- महिला एवं बाल विकास
- समाज के कमजोर वर्ग की समृद्धि जिसमें अनुसूचित जाति और जनजाति दोनों शामिल हैं
- लोक विभाजन पद्धति
- सार्वजानिक संपत्ति की देखरेख